26 जन॰ 2021

‘बाल-साहित्य’ के माध्यम से समाज की ओर यात्रा… भाग दो :- ‘मनोहर चमोली’ से ‘मनोहर चमोली’ तक

‘बाल-साहित्य’ के माध्यम से समाज की ओर यात्रा…

भाग दो :-

‘मनोहर चमोली’ से ‘मनोहर चमोली’ तक


 

मनोहर चमोली ‘मनु’…! एक बाल-साहित्यकार…! उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में पौड़ी जिले के अंतर्गत स्थित राजकीय उच्च विद्यालय, केवर्स के एक समर्पित अध्यापक | कई लोगों, या यूँ कहा जाय, कि अपने विरोधियों एवं इस साहित्यकार-अध्यापक को नापसंद करनेवालों की दृष्टि में एक बहिर्मुखी-व्यक्तित्व, एक अहंकारी, मुँहफट, ज़िद्दी, आत्म-मुग्ध, आत्म-प्रवंचना के शिकार, अपने विचारों के प्रति अति-आग्रही… और भी न जाने क्या-क्या…? लेकिन जो व्यक्ति, जिन्हें प्रायः ‘समाजवादी’ और ‘जनवादी’ जैसी ‘दक्षिणपंथी गालियों’ (जो कि अक्सर दक्षिणपंथी-मानसिकता वाले लोग ही दिया करते हैं, इन शब्दों को इसी कारण मैं ‘दक्षिणपंथी गालियाँ’ कहना पसंद करुँगी— प्रतिष्ठित एवं सम्मानित तथा जनता के हक़ की वक़ालत करनेवाले शब्दों को एक ‘गाली’ की तरह प्रयोग करने की मानसिकता | जोकि ऐसे लोगों की ‘ब्राह्मणवादी’ या ‘वर्चस्ववादी’ प्रवृत्ति को ख़ूब अच्छी तरह प्रतिबिंबित करता है) से विभूषित किया जाता है, जो समाज में सभी की समानता एवं अधिकारों की वक़ालत करते हैं, सभी के लिए समान अवसरों की बात करते हैं, सभी के प्रति मानवीय-संवेदनाएँ रखते हैं, इस दिशा में प्रयास करते हैं…! लेकिन बहुत से अपने जैसों की दृष्टि में यह साहित्यकार-अध्यापक एक दृढ़-प्रतिज्ञ, समाजवादी सोच, मानवीय-संवेदनाओं से संपृक्त, सुचिंतित एवं सुविचारित विचारों एवं चिंतना से युक्त एक ठोस व्यक्तित्व का धनी व्यक्ति है …


(समूचा लेख यहाँ पढ़ा जा सकता है -
https://batkahi.net/kathetar/%e0%a4%ae%e0%a4%a8%e0%a5%8b%e0%a4%b9%e0%a4%b0-%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a4%a8%e0%a5%81-2/

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