बच्चों का देश : रजत जयंती विशेषांक
अनूठा संग्रह बन गया है बालोपयोगी सामग्री का
‘बच्चों का देश’ के बुनियादी पाठक बच्चे हैं। इसे राष्ट्रीय बाल मासिक के नाम से भी जाना जाता है। यह पत्रिका प्रकाशन के पच्चीस साल पूरे कर चुकी है। हालांकि अब इसका जो स्वरूप है, उसमें सभी वय-वर्ग के पाठकों के लिए भी सामग्री है। दीगर बात यह है कि समूची सामग्री को इस तरह से तैयार किया जाता है कि वह पहले-पहल बच्चों को ज़रूर पसंद आए।
पहला अंक अगस्त, 1999 को प्रकाशित हुआ था। ‘बच्चों का देश’ का छब्बीसवें साल के प्रवेश पर अगस्त-अक्तूबर 2024 का विशेषांक प्रकाशित हुआ है। हालांकि अब इस मासिक पत्रिका का मूल्य तीस रुपए है। मासिक अंक 52 पेज का प्रकाशित होता है। लेकिन यह अंक 100 रुपए का है। पेज संख्या 260 है। 153 पन्नों में तो विशुद्ध रूप से बाल साहित्य प्रकाशित हुआ है।
यह विपुल साहित्य बच्चों का देश के पूर्व के अंकों से ही लिया गया है। प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से लगभग डेढ़ सौ रचनाएँ इस अंक में शामिल की गई हैं। चित्रों के तो क्या ही कहने हैं। हर चित्र में चित्रकार का नाम भी हो, प्रायः ऐसी परम्परा पूर्व में तो नहीं ही थी। लेकिन इस पत्रिका को उलटते-पलटते ही पता चल रहा है कि शामिल रचनाओं में चित्र अलग-अलग समय में भिन्न चित्रकारों ने बनाए हैं। इस अंक में लगभग दो सौ चित्र हैं जिनमें कम्प्यूटरीकृत, ग्राफिक्स, छाया चित्र, स्कैच, रंगचित्र, रेखांकन भी शामिल हैं। यह बड़ी बात है।
मोटा-माटी ‘बच्चों का देश’ मासिक में किसी भी अंक में लगभग तीस रचनाकारों को शामिल करने का प्रयास दिखाई देता है। औसतन पच्चीस बरसों का सटीक आकलन संभव नहीं। छोटी-बड़ी तीस रचनाओं को एक अंक में शामिल होने की आदर्श स्थिति मान लें तो लगभग नौ हज़ार रचनाएँ बच्चों का देश में स्थान पाई हैं। संभव है नौ हज़ार रचनाओं के रचनाकार अमूमन बार-बार भी दोहराएँ जाते रहे होंगे। यह पचास फीसदी होंगे तो भी चार-पाँच हज़ार रचनाकार तो इन पच्चीस सालों में इस पत्रिका में प्रकाशित हुए होंगे। सही, सटीक आँकड़ा तो माह-दर-माह प्रकाशित रचनाओं और उनके रचनाकारों को सूचीबद्ध करने से ही सामने आ सकेगा। यह श्रम भगीरथ प्रयास ही कहलाया जाएगा। समय-समय पर अंकों के माध्यम से जो कविता, निबन्ध, चित्रकला, वर्ग पहेली आदि गतिविधियों में विद्यार्थी शामिल होते हैं उन्हें भी जोड़ लें तो यह आँकड़ा बढ़ जाएगा।
ऐसे में पिछले पच्चीस सालों के लगभग तीन सौ अंकों का प्रकाशन मान लिया जाए तो प्रत्येक अंक से एक रचना शामिल करने की बाध्यता से भी यह अंक निर्मित किया जाता तो तीन सौ रचनाएं शामिल करनी पड़ती। तब तो यह अंक स्वयं में ग्रन्थाकार हो जाता। ऐसे में अधिकाधिक रचनाओं को रजत जयंती विशेषांक में समेट पाना असंभव ही था। किस रचना को शामिल किया जाए? किसे छोड़ा जाए? ऐसा इरादतन भी किया जाना संभव नहीं था। फिर भी संपादकीय टीम ने हर संभव यह प्रयास तो किया ही है कि साल 1999 से 2024 तक के अंकों में चुनिंदा रचनाओं को स्थान देकर नव पाठक एक यात्रा या कहूँ कि एक झलक या एक बानगी पा सकें। इस अंक में शामिल रचनाओं की प्रकृति को देखें तो संपादकीय टीम ने विविधता को आगे रखा।
मसलन मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता दी गई। पशु-पक्षियों से प्रेम और उनकी अस्मिता को ध्यान रखने वाली रचनाओं को शामिल किया गया। मनुष्यता, संवेदनशीलता को सर्वोपरि स्थान देने वाली रचनाएँ पुनः शामिल की गई। अब छोड़ा क्या? चूँकि प्रत्येक अंक ही बालकों को बेहतर नागरिक की ओर बढ़ने की प्रेरणा देती प्रतीत होती हैं। भारत से प्रेम करने वाली हैं। इस दुनिया से प्रेम करने वाली हैं। सामाजिक बुराईयों का हिस्सा न बनने वाली हैं तो मुश्किल रहा होगा कि क्या छोड़ा जाए। संभव है कि कुछ अंक छोड़ भी दिए गए होंगे। अपवादस्वरूप एक-दो रचनाकारों की एक से अधिक रचनाएँ इस अंक में शामिल हो गई हैं। लेकिन कथ्य और बोध के हिसाब से भी चयन किया गया है। यह संभव है। बहरहाल, इस अंक को पलटने मात्र से चित्रकारों के भाव-बोध, पत्रिका का ले आउट, साज-सज्जा में आए बदलाव की झलक भी मिलती है। इन पच्चीस सालों में रचनाओं के स्तर का भी नमक भर सा ज़ायका भी इस अंक से लिया जा सकता है। मुझे याद नहीं पड़ता कि किसी पत्रिका ने अपने इतने लंबे समय का ऐसा विशेषांक निकाला हो। अलबत्ता चयनित रचना के साथ मूल अंक का महीना-वर्ष भी प्रकाशित होता तो और भी बेहतर हो जाता। पता नहीं क्यों? पुराने अंकों से रचनाओं को छांटते-चुनते समय माह और वर्ष को अंकित न करने के पीछे क्या उद्देश्य रहा होगा।
अंक में चालीस पृष्ठों में बाल साहित्य समागम की विस्तृत रपट एवं झलकियाँ हैं। शेष पन्नों पर ही पिछले 25 सालों में छपी सामग्री के कुछ मोती पिरोए गए हैं। बीच-बीच में सुधी पाठकों-हितैषियों-शुभचिन्तकों के विज्ञापन भी हैं। विज्ञापनों के मामलों में बच्चों का देश सतर्क रहा है। वह मुनाफाखोरों, सामाजिक बुराईयों को प्रश्रय देने वालों से विज्ञापन लेती ही नहीं। उपभोक्ताओं की अनिवार्य ज़रूरतों की सेवा प्रदाताओं से यदा-कदा विज्ञापन बच्चों का देश में दिखाई देता है। कहा जा सकता है कि यह पत्रिका व्यावसायिक दृष्टि से बहुत दूर है और केन्द्र में बालहित है।
जैसा कि पहले भी कहा है कि पूर्व के कुछ स्थाई स्तंभों को भी जगह दी गई है। आवरण में पहले अंक सहित लगभग बीस अंकों के आवरण भी संजोए गए हैं। कहानियां, गीत, कविताएं, महाप्रज्ञ की कथाएं, संस्मरण, होनहार बच्चे, चित्र पहेली, महापुरुषों की जीवनियां, क्या आप जानते हैं? रोचक जानकारियां, चुटकुले, पहेलियां, सुडोकू ,प्रेरक प्रसंग, बच्चों का क्लब, बच्चों को उनके चित्रों के साथ जन्मदिन की बधाईयां भी अंक में शामिल हैं। इसके साथ चित्रकथा, पद्यकथा और बोधकथा से रचनाएं संकलित हैं। इन्हें पहचानों, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता, क्या कहते हैं मुहावरे, आओ मित्र, चित्र बनाएं, चित्रों में अन्तर ढूंढिएं, महापुरुषों के विचार, दिमागी कसरत, साहसी बच्चे, व्हाट्सएप कहानी भी शामिल हैं। अणुव्रत का संदेश भी है। रजत जयंती विशेषांक का आवरण बेहतरीन है। बाहर-भीतर कागज़ गुणवत्तापरक है। समूची पत्रिका रंगीन है। बेहतरीन है। अथक प्रयासों से यह अंक पाठकों के सामने आया है।
इस अंक में शामिल प्रमुख रचनाओं को इस तरह देखा जा सकता है-
सीताराम गुप्ता कृत दिमागी कसरत, साहस की छलाँग-रजनीकान्त शुक्ल, मेघ डाकिया-भगवती प्रसाद गौतम, लगाम-नयन कुमार राठी, आओ ! बदलें कल्पना....-गर्वित बोथरा, कद्दू राजा-डॉ. शशि गोयल, साहस, सत्य और विश्वास-डॉ. मृदुल शर्मा, वीरता का अवतार: सरोजिनी कुलश्रेष्ठ, जीवित पुल-संकेत जैन, हमदर्द रजाई-राजीव गुप्ता,पहेलियाँ-कनकलता रस्तोगी, वन्दे मातरम-प्रमोद दीक्षित ‘मलय’ बच्चे ज्यों बगिया के फूल-कुसुम अग्रवाल, पहला कदम-ओम प्रकाश बजाज,हुई सुबह-डॉ. रामनिवास ‘मानव’, पेड़, नहीं काटो भैया-डॉ. नागेश पांडेय ‘संजय’,पेड़ लगाएँ-रामजीलाल घोड़ेला ‘भारती’, बेटी का दहेज, द्वेष का फल-अंकुश्री,पत्र का असर-दर्शन सिंह आशट,खुशी मिल गई-पद्मा चौगांवकर,कौए ने की मित्रता-राकेश चक्र,बचत भली आदत-गौरीशंकर वैश्य ‘विनम्र’,चिड़िया-माणक तुलसी राम गौड़, शहीद का बेटा-डॉ. चेतना उपाध्याय, नाना के घर जायेंगे-कैलाश त्रिपाठी, फलों के राजा-अश्वनी कुमार पाठक,पेड़ खजूर-डॉ. इन्दु गुप्ता, जादुई दस्ताने-अलका प्रमोद, हैलो मम्मी-सुकीर्ति भटनागर, सेठानी की सीख-गोविन्द भारद्वाज, स्वाद का रहस्य-डॉ. विमला भंडारी, तरकारी का खेल-सुशीला शर्मा, महाप्रज्ञ की कथाएँ, दिल से बातचीत-ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’, नन्हा आर्य-संचय जैन, सेवा की लगन-सावित्री रांका, झूठ का पर्दाफाश-भगवती प्रसाद द्विवेदी, पढ़ाई काम आई -समीर गांगुली, गर्मी से छुटकारा पाओ-शिवमोहन यादव, क्रिकेट की रोमांचक. . .-अनिल जायसवाल, लोरी-डॉ. लता अग्रवाल ‘तुलजा’, बच्चों का देश- उदय मेघवाल ‘उदय’, छाया का राज-डॉ. विष्णुशास्त्री सरल, दिमागी कसरत-प्रकाश तातेड़, देश प्रेम की परिभाषा-डॉ. संगीता बलवंत, चित्र पहेली-सुधा जौहरी, गियरवाली साइकिल-रोचिका अरुण शर्मा,जुगनू भैया-नीलम राकेश, जन्मदिन की बधाई, बन्दर मामा-चक्रधर शुक्ल, खुशियों की सौगात...-डॉ. सतीश चन्द्र भगत, अन्तर ढूंढ़िये, बुरी नजर का असर-डॉ. कुसुमरानी नैथानी, ये बादल क्यों रोते हैं?-रेखा लोढ़ा ‘स्मित’,बादल आए-नीता अवस्थी,बरखा दीदी-महेन्द्र कुमार वर्मा, पंछी हुए फुर्र-मनोहर चमोली ‘मनु’,पौधारोपण-सुनील कुमार माथुर,बूंद-बूंद से भरता घड़ा-उषा सोमानी,संगीत का जादू-कविता मुकेश,बच्चों का क्लब, बचत के बीज-ताराचन्द मकसाने,कलम और कँूची,ऐसे होती बारिश-गुडविन मसीह,जागता गाँव-गोपाल माहेश्वरी,चाचा नसरूद्दीन आफन्ती-सत्यदेव सत्यार्थी,आज यह जाना मैंने-डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी, जब भी सीखो-सुनैना पांडेय, माँ बतलाओ-डॉ. रोहिताश्व अस्थाना, कोयल-मोहम्मद फहीम, कला के रंग -चित्रेश, जब साँप ने रास्ता काटा-डॉ. दिनेश चमोला, क्या आप जानते हो?,अप्रैल फूल-डॉ. मंजरी शुक्ला, और ठग पकड़े गये-पवित्रा अग्रवाल, रास्ता बताइये-चाँद मोहम्मद घोसी, बड़ा मारने वाला या ....महावीर शर्मा ‘विनीत’, नायक यदुनाथ सिंह-डॉ. वेद मित्र शुक्ल, अम्मा मुझे चुनाव लड़ा दो-जगतपति अग्रवाल, चुटकुले- मोहन सिंह, पहेली की कहानी-श्याम नारायण श्रीवास्तव, क्षमादान-इन्द्रजीत कौशिक,पत्र-नीना सिंह सोलंकी, क्या आप जानते हैं?-प्रीति प्रवीण खरे, नए साल में-अखिलेश श्रीवास्तव ‘चमन’, नया साल है-जाकिर अली रजनीश, नया वर्ष नया हर्ष-विनोद चन्द्र पांडेय विनोद, लो चंगों पर थाप पड़ी-डॉ. तारादत्त निर्विरोध, होली-राजा चौरसिया, खिल उठे होली के रंग-डॉ. देशबन्धु शाहजहाँपुरी,कर्तव्य बोध-रूपनारायण काबरा, बेटी की चिन्ता-डॉ. संत कुमार टंडन रसिक, पेड़ न कोई काटे-हरप्रसाद रोशन,पेड़ लगाया-राम गोपाल राही,आवाज का जादू-अरनी रॉबर्ट्स,हार-जीत: डॉ. शील कौशिक,जैसी करनी वैसी भरनी-सत्यदेव सत्यार्थी, कौआ और कोयल-डॉ. भैंरूलाल गर्ग,बन्दर की होली-दीनदयाल शर्मा, अम्मा बतलाती-कृष्ण शलभ, अच्छे बच्चे-डॉ. प्रतीक मिश्र, मोनिया, तू बड़ा आदमी.....पी.के. पांडेय, श्रम की गरिमा-पुष्पेश कुमार पुष्प, कितना आलस्य, महाप्रज्ञ की कथाए,ँ गेहूँ की रोटी-डॉ. श्याम मनोहर व्यास, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता-प्रकाश तातेड़,अनोखा बन्धन-अरविन्द कुमार साहू, हॉकी का जादू, होनहार बच्चे-शिखर चन्द जैन,मत करना गलती-रमेश चन्द्र पंत, क्या कहते हैं मुहावरे ?-साक्षी जैन, भूल का अहसास-डॉ. रामसिंह यादव, आओ ! बनाएँ कागज से....अरविन्द गुप्ता, गुड्डा गुड़िया-पूरन सरमा, बरखा रानी-डॉ. शिवदेव मन्हास,खुश हो जाता-रावेन्द्र कुमार रवि,संविधान की आत्मा-डॉ. बसन्तीलाल बाबेल, करिश्मा का करिश्मा-महेन्द्र जैन, जल और फल-राजीव सक्सेना,सच की दोस्ती-ज्ञानदेव मुकेश, आओ मित्र, चित्र बनाएँ,अन्तर ढूंढ़िए-देवांशु वत्स, सफाई का सबक-इंजी. आशा शर्मा, हाँ, मैं झूठ बोलूँगा-संगीता सेठी, एकता से श्रेष्ठता की ओर-नेहा गुप्ता, चुप्पी-डॉ. मोहम्मद अरशद खान, सैर चिन्ड्रनश्स पीस पैलेस की,मिस्टर लल्लू लाल-डॉ. फहीम अहमद, । ठवपसपदह म्गचमतपउमदज-राजीव ताम्बे, सान्ता क्लॉज-डॉ. महाश्वेता चतुर्वेदी, जाड़ा आया-सुरेन्द्र प्रसाद गिरि, लक्ष्य...महापुरुषों के विचार, बरसात की रिमझिम-सुधा भार्गव, अब्दुर्रहीम खानखाना: डॉ. राष्ट्रबन्धु , अच्छे बच्चे-चितरंजन भारती, ये बच्चे हैं-डॉ. श्रीप्रसाद, है आराम हराम-घमंडीलाल अग्रवाल, नया सवेरा-शकुन्तला कालरा, सहन करो, सफल बनो-समणी विपुल प्रज्ञा, हमारी माँ-डॉ. दाऊदयाल गुप्ता, चिंता करते क्यों कल की-डॉ. कृपा शंकर शर्मा अचूक, सबसे कठिन मैराथन-मुरली मनोहर मंजुल, डॉ. राधाकृष्णन-डॉ. बाल शौरि रेड्डी, बुलबुल और सोने का पिंजरा-डॉ. महाराज कृष्ण जैन, पुरुषोत्तम दास टंडन-राजेन्द्र शंकर भट्ट, दो दिन मीठे ये बचपन के-डॉ. मनोहर प्रभाकर, नमन हमारा-राजनारायण चौधरी, कागजी नौटिलस-डॉ. परशुराम शुक्ल, आओ हम भी करें दोस्ती-दिविक रमेश, सफलता का रहस्य- गोपालदास नागर, मिट्टी के खिलौने-पवन कुमार वर्मा, आस्था का मंदिर-गोविन्द शर्मा को स्थान मिला है।
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बच्चों का देश: मासिक
वर्ष: अगस्त-अक्टूबर 2024
अंक: रजत जयंती विशेषांक
पृष्ठ: 260
इस अंक का मूल्य: 100 रुपये
सम्पादक: संचय जैन
सह संपादक: प्रकाश तातेड
प्रकाशक: अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी(अणुविभा), चिल्ड्रन पीस पैलेस, पोस्ट बॉक्स सं: 28, राजसमन्द 313324.राजस्थान
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