30 सित॰ 2010

मन की बात ...

'नाराज करो तो माफ़ी मांगो और नाराज हो तो माफ़ करो..'
इस कहावत में सच्चे जीवन जीने की सच्चाई समाहित है.
आप क्या मानते हैं?

29 सित॰ 2010

बाल कविता- बस्ता बेहद भारी है...

बस्ता बेहद भारी है
ढोना तो लाचारी है
पढकर याद करना है
रटना आज भी जारी है
श्यामपट्ट के धुंधले आखर
अब भी एक बीमारी है
गुरूजी के हाथ में डंडा
जाने  कैसी यारी है
कान पकड़ कर उठक-बैठक
मुर्गा बनना जारी है
छुट्टी में जो घंटी बजती
हमको लगती प्यारी है.
-मनोहर चमोली 'मनु'
[30-09-2010]

बाल कविता- मकड़ी को ककड़ी

धड़ धड़ धड़ धड़ धड़ाम हो
मकड़ी को ककड़ी खाने दो
बम बम बम बम भड़ाम धिन
ढम ढमा ढम धिन धिन धिन
टप टप टप टप बारिश हो
टन टन टन टन छुट्टी हो
चम चम चम चम चमकी धूप
खाना दे दो लग गयी भूख.
-मनोहर चमोली 'मनु'
[बाल कविता-३०-९-2010]

बाल कविता - 'जाड़ा....'

जाड़ा थर थर करता आया
बर्फ हवा भी साथ में लाया
टोपी जूते मोज़े पहने
मफलर जर्सी अपने गहने
गरम रजाई वाह भई वाह
सूरज चाचू जल्दी आ.
-मनोहर चमोली 'मनु'
[२९-९-2010]

हर चीज़.....

'हर चीज़ गुजर जाती है, हर चीज़ कमजोर हो जाती है. हर चीज़ टूट जाती है.'
बस इस मन को...- इस दिल को... नही टूटने देना चाहिए. जमाना तो हाथ में पत्थर लिए खड़ा है. फिर क्या....?
यही कि आशा का दामन नहीं छोड़ना चाहिए.... संभालने वाले साथी भी मिल ही जाते हैं.

विचार..दर्द का....

हर आदमी सोचता है-''मेरा दर्द भारी है. मै दुखी हूँ और दूसरा सुखी है.''

गजल-इश्क में खुद को ....

इश्क में खुद को आजमाता है
कांच को आंच क्यों दिखाता है
फायदा क्या लिपट के रोने से
क्यों बुजी आग को जलाता है
आखिरी वक्त के सवेरे में
क्यों मुझे मौत से डराता है
मर गया उसकी आँख का पानी
अब तो बस रो के वो दिखाता है
कितना तन्हा है आदमी ए 'मनु'
अब तो बस गम में मुस्कराता है.
-मनोहर चमोली 'मनु'

28 सित॰ 2010

कविता : कहते हैं कि लड़कियाँ-----मनोहर चमोली 'मनु'

कहते हैं कि लड़कियाँ
चिड़िया के समान होती हैं
वे एक जगह नहीं टिकतीं
फुर्र हो जाती हैं
लेकिन मैंने तो देखी हैं
ऐसी कई लड़कियाँ
जो उड़ती ही नहीं
वे जड़ हो गईं हैं
अपने बूढ़े माता-पिता के लिए
नन्हे भाई-बहिनों की खातिर
तो मैं कैसे मान लूं
कि लड़कियाँ
चिड़िया के समान होती हैं
वे एक जगह नहीं टिकती
फुर्र हो जाती हैं---फुर्र हो जाती हैं ! ! ! 
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29-9-2010 -मनोहर चमोली 'मनु'

gajal-...जाम चलता है.

किस से अब किसका काम चलता है
बाप बेटे का नाम जपता है
तुम मेरे न हो सके क्या कीजे
बिन तुम्हारे भी काम चलता है
पाल लेता है कुछ भ्रम इन्सान
के उसके कहने से राम चलता है
अब तो घर चलाती हैं बेटियां
घर में बेटों का जाम चलता है.
-मनोहर चमोली 'मनु '.

कहते हैं....

"कहने और करने के बीच तमाम जूते घिस जाते हैं."
कथनी-करनी में फर्क होने पर ही ऐसा होता हे या और भी ....

27 सित॰ 2010

विचार

"सोचो ज्यादा, बोलो कम, लिखो और भी कम.."
ये बात हजम हुई..? नहीं न ! . यदि हाँ. तो साजा जरूर कीजिये.

बात अपनी

आप क्या मानते हैं..?
क्या.. "गुस्से से बड़ता है प्यार....?" बतलाईयेगा.

kahawat

कहावत।
"gussye se badta hai pyar."
aap kya kahte hain?
क्या आप पेशाब रोक पाते हैं.? कितनी देर..? महिलाएं घंटों क्या, दो-दो पहर दवाब सहन करती हैं. हर जगह.. कारण..? शौचालयों का अभाव. हम पुरुष कहीं भी, कभी भी खड़े होकर विसर्जन कर देते हैं. जरा,विचारें. महिलाओं को कितनी दिक्कतें आती होंगी. महिला सार्वजनिक शौचालय हैं-159 .और पुरुष मूत्रालय हैं-30152 . वाह ! रे भारत! देश-विदेश के आयोजन में पानी की तरह रुपया बहा दे. हर हाथ में मोबाईल थमा दे. पर हर परिवार को शौचालय.? ठेंगा..
आज के दिन की शुरुआत अच्छी रही.विजय दी का फ़ोन आया. तब देका..देर लगी पर... फिर दी का फ़ोन दोबारा आया. काश! अनु से बात हो पाती.!
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"....भूख और भीख तो बढती ही जाती है.कुछ लोग लाखों कमाते हैं,इंग्लैंड-अमेरिका से नही.गरीबों की जेब से......." -पूना,२९ जून १९४४ में ...गाँधी जी का भाषण [सम्पादित अंश]
आज भी प्रासंगिक है.-गाँधी जी को मेरा नमन. बार- बार नमन.