28 जुल॰ 2012

‘तुम्हारा आना और जाना’

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‘तुम्हारा आना और जाना’

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तुम्हारा आना

जैसे महकती हवा
चमकती सुबह
फूल का खिलना
चिड़िया का चहकना

तुम्हारा जाना
पत्तों का गिरना
शाम का ढलना
मन उदास होना
नदी का मौन बहना

अब जब भी आना
जाने के लिए मत आना।

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-मनोहर चमोली ‘मनु’

2 टिप्‍पणियां:

यहाँ तक आएँ हैं तो दो शब्द लिख भी दीजिएगा। क्या पता आपके दो शब्द मेरे लिए प्रकाश पुंज बने। क्या पता आपकी सलाह मुझे सही राह दिखाए. मेरा लिखना और आप से जुड़ना सार्थक हो जाए। आभार! मित्रों धन्यवाद।