7 फ़र॰ 2014

बादल क्यों बरसता है? Room to Read, Year-2013

बादल क्यों बरसता है?


पहले धरती और बादल पास पास रहते थे। इतने पास कि एक-दूसरे को छू लेते। तब धरती बहुत हल्की थी। इतनी हल्की कि हवा में उड़ जाती।


एक दिन धरती ने कहा- ‘‘थक गई हूं। कहीं दूर घूमने जाना चाहती हूं।’’

बादल ने कहा ‘‘तो जा न। किसने रोका है। लेकिन लौट आना। मैं तुझे याद करुंगा।’’

धरती हंसते हुए कहने लगी-‘‘ये बात है। लेकिन मुझे कैसे पता चलेगा?’’

बादल सोचने लगा। फिर बोला-‘‘मैं बरसने लगूंगा। बारिश करुंगा। समझ लेना कि मैं याद कर रहा हूं। लेकिन याद रखना। बस लौट आना। नहीं तो मैं नाराज हो जाऊंगा।’’

धरती शरमा गई। धरती सकुचाई। धरती ने नजरें झुका लीं। फिर पूछने लगी-‘‘लेकिन मुझे कैसे पता चलेगा?’’
बादल फिर सोचने लगा। कहने लगा-‘‘मैं ओले गिराऊंगा। तूझे ओलों से ढक दूंगा। समझ लेना कि मैं नाराज हो रहा हूं।’’

धरती घूमने चली गई। धरती नीचे और नीचे की ओर टपक पड़ी।

कई दिन बीत गए। बादल धरती को याद करने लगा। याद में बरसने लगा। इतना बरसा कि बस बरसता रहा।

धरती हरी-भरी हो गई। धरती पर पेड़ उग आए। पहाड़ बन गए। नदिया बन गईं। समुद्र बन गया। खेतियां लहलहाने लगीं। पशु-पक्षियों ने धरती को बसेरा बना लिया। धरती भारी हो गई। अपनी धुरी पर घूमने लगी।
तभी से धरती घूम रही है। आज भी बादल धरती को याद करता है। खूब बरसता है। जब नाराज होता है तो ओले बरसाता है। 

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत रोचक !!अब समझ में आया कि बादल क्यों बरसते हैं आखिर !!वाह !!मान गए आपको।

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  2. Badal is liye barsata hai Kyunki vah Dharti Ko Yad karta hai aur Dharti Itni Bhari ho chuki hai ki vah Badal Tak Nahin pahunch paati hai isliye Badal barsata hai


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यहाँ तक आएँ हैं तो दो शब्द लिख भी दीजिएगा। क्या पता आपके दो शब्द मेरे लिए प्रकाश पुंज बने। क्या पता आपकी सलाह मुझे सही राह दिखाए. मेरा लिखना और आप से जुड़ना सार्थक हो जाए। आभार! मित्रों धन्यवाद।