3 अग॰ 2014

बालपन में झांकता बाल साहित्य संसारः ई-पत्रिका का पहला अंक सार्वजनिक

बालपन में झांकता बाल साहित्य संसारः ई-पत्रिका का पहला अंक सार्वजनिक 
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बालपन में झाबालसाहित्य से जुड़े पाठकों,शोधार्थियों और रचनाकारों के लिए अगस्त माह खुशखबरी लेकर आया है।

बाल साहित्य संसार का पहला अंक बालसाहित्य के मर्मज्ञ पाठक, साहित्यकार,कवि,चितंक और आदमकद इंसान रमेश तैलंग के संपादन में प्रकाशित हो चुका है।बाल साहित्य जगत की हलचलों पर नज़र रखती द्विभाषी ई-पत्रिका फिलहाल 8 पेज में प्रकाशित हुई है। संपादकीय भी बच्चों की स्थिति-परिस्थिति पर चिंता प्रकट करता है। आशावादी संपादकीय से ही पता चलता है कि आगाज़ जब अच्छा होता है तो अंजाम भी भला ही होगा।

देवेन्द्र कुमार और प्रकाश मनु का वरदहस्त पत्रिका को मिला है। पहले ही अंक में प्रख्यात चिंतक और बालसाहित्यकार ओमप्रकाश कश्यप का आलेख ‘इक्कीसवीं सदी के पहले दशक में बाल साहित्य की स्थिति और चुनौतियां’ नई सोच और दिशा लेकर प्रस्तुत है। कश्यप जी ने इस आलेख में न केवल बाल साहित्य के इतिहास की धरोहर की चर्चा की है। बल्कि वर्तमान में हाशिए पर बाल साहित्य की स्थिति के कारणों पर भी चर्चा की है। पिछले 110 साल के आस-पास का सफर करते-करते बाल साहित्य कहां और कैसी स्थिति पर आ पहुंचा है, उसे भी कश्यप जी ने रेखांकित किया है। उनका यह आलेख संभवतः आगामी अंकों में भी क्रमशः चलता रहेगा। 

महत्वपूर्ण बात यह है कि बालसाहित्य के रचनाकारों की रचनाओं से तो हर कोई वाकिफ हो ही जाता है, लेकिन उनका छाया चित्र बहुधा उपलब्ध नहीं हो पाता। इस ई-पत्रिका में अग्रज बालसाहित्यकारों के छाया चित्र गतिविधियों,अवसरों और आयोजनों में शिरकत करते हुए पाठकों  के लिए उपलब्ध होंगे। अंक में दो पुस्तकों की समीक्षा सचित्र उपलब्ध है। लेकिन एक ही पुस्तक के रचनाकार का परिचय उपलब्ध हो सका है।

प्रख्यात रचनाकार अखिलेश श्रीवास्तव चमन जी के साथ प्रकाश मनु जी का भी परिचय आना चाहिए था। अंग्रेजी अखबारों में चर्चित बच्चों से जुड़ी खबरों-लेखों के लिंक देकर एक अच्छी शुरुआत की गई है। कई बार कई सन्दर्भों के लिए बाल साहित्य अथवा बच्चों से जुड़े विमर्श लेखों की आवश्यकता पड़ती है। यह संग्रहणीय भी है और पठनीय भी। इससे पता चलता है कि हिन्दी के अखबार बालसाहित्य, बालसाहित्य विमर्श और बच्चों से जुड़ी खबरों में अंग्रेजी के अखबारों से कमतर ही हैं। बालसाहित्य अथवा बच्चों के इर्द-गिर्द जुड़ी पत्रिकाओं-पत्रों का लोकार्पण या इस बहाने हुए बाल साहित्य विमर्श के लिए संभवतः स्थान सुरक्षित रहेगा। यह जरूरी भी है।

अंग्रेजी बालसाहित्य से जुड़ी महत्वपूर्ण साइटें भी उनके लिंक के साथ दी गई हैं। अंत में रमेश तैलंग की लीक से हटकर बाल कविता भी दी गई है। महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी चित्र बच्चों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हर माह के लिए सूचनात्मक साहित्य से इतर रचनात्मक साहित्य देना चुनौतीपूर्ण तो होगा ही। लेकिन बाल साहित्य में संवाद और चर्चा के मौन को तोड़ने के लिए ई-पत्रिका मंच देगी। ऐसी आशा की जानी चाहिए।

आप भी रचनाएं भेज सकते हैं। कुल मिलाकर प्रवेशांक दिलचस्प है। ले आउट-साज-सज्जा भी आंखों को थकाती नहीं। पठनीय और रोचक सामग्री रहेगी तो इसके पाठक बढ़ते चले जाएंगे। अनुभवी और मिलनसार-सह्दय अग्रज बालसाहित्यकार इसे संचालित कर रहे हैं।

उम्मीद की जाती है कि इसकी धमक दूर तलक जाएगी। बशर्ते यह चाटुकारिता, आत्ममुग्धता और अति अपनत्व का शिकार न हो।

आप भी अपनी रचनाएं भेजें। मेल है- balsahityasansar@gmail.com
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  आप यहां से सीधे पीडीएफ फाईल तक पहुंच सकते हैं _ _ https://www.facebook.com/download/786302351420659/wocl-1.pdf

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