10 अप्रैल 2016

जनवरी 2016 अपूर्व उड़ान

जनवरी 2016 अपूर्व उड़ान का दूसरा अंक है। आवरण देखते ही बनता है। चित्रांकन एवं ग्राफिक्स आशुतोष के हैं। विशुद्ध रूप से यह आवरण बालमन का ही है। बच्चों की दुनिया से लिया गया है। पतंग आज भी कौतूहल का विषय है। जो उड़ाना जानते हैं और जो नहीं भी। आवरण पत्रिका के नाम से मेल भी खाता है। 60 पेज की बहुरंगीय मासिक पत्रिका में नया साल 2016 का कैलेण्डर भी है। जिसमें तारें ज़मीन पर के दर्शिल को आसानी से पहचाना जा सकता है।

इस अंक में सात कहानियां,पांच कविताएं,दो चित्रकथाएं,छह स्थाई स्तंभ,आठ बच्चों के लिए खेल-खेल में सीखने विषयक गतिविधियां हैं। एक थीम स्टोरी भी है। छह विविध रचनाएं हैं, जिनमें से अधिकतर बाल सुलभ हैं।

संपादकीय सरल है। सहज है, आम भाषा में लिखा गया है। बच्चों से बात करता हुआ नज़र आता है। ठीक भी है। अपूर्व उड़ान ने मान लिया है कि यह पत्रिका बच्चों के लिए है बच्चों के लिए लिखने वालों के लिए नहीं। संपादकीय के बहाने संपादक राजेन्द्र प्रसाद तिवारी कई सारी बातों को आसानी से कह जाते हैं। वह अपनी बात सर्दी से शुरू करते हैं। नये साल की खुशबू भी संपादकीय में है। वहीं वह बच्चों को भारत के बारे में सोचने का सादा सा नज़रिया भी प्रस्तुत करते हैं। वह बच्चों को कमतर नहीं आंकते, न ही कुछ विशेष बनने की अपील करते हैं। वह तो बस इतना ही कहते हैं कि तुम्हारे भीतर प्रतिभा की कमी नहीं है। कहना होगा कि चुलबुली दुनिया के साथ-साथ पत्रिका अपने वैज्ञानिक नज़रिए के साथ बच्चों के मन में गहरी पैठ बनाएगी।

पांच पाठकों की चिट्ठी अंक में हैं। मज़ेदार बात यह है कि पांचों चिट्ठियां बच्चों ने लिखी हैं। कक्षा नौ तक पढ़ने वाले बच्चों के मन की आवाज़ चिट्ठियों में गूंजती है। पवन शर्मा ने अपनी थीम स्टोरी में सेवा के भाव को प्रमुखता दी है। दूसरे शब्दों में कहें तो बच्चों में सेवा का भाव चरम पर होता है और सबसे अधिक होता है। वह खेल-खेल में ही घर के अंदर ही कई किलोमीटर की यात्रा कर लेते हैं। बिना थके और बिना रुके। पांच युगपुरुषों के परिचय के साथ सेवा का भाव करीने से संजोया गया है। तीन समाचार जो प्रत्यक्ष तौर पर बच्चों से ही जुड़े हुए हैं,शामिल किये गए हैं। एक चित्रकथा विवेकानंद पर गतांक से आगे चल रही है। चित्रकथा के चित्र बालमन के अनुरूप बने हैं। अक्षरों का आकार भी बालमन के अनुसार रखा गया है। मुस्कुराइये के तहत चार चुटकुले हैं। विज्ञान कथा कलैण्डर पर है। इसे जाने-माने बाल साहित्यकार एवं विज्ञान लेखक देवेंद्र मेवाड़ी ने सरल एवं रोचकता के साथ लिखा है।

मंगरूराम मिश्र, शांति अग्रवाल, डाॅ॰ फहीम अहमद, पूर्णिमा वर्मन, विनोद भृंग की कविताएं गुदगुदाती हैं। कहानियों में प्रख्यात बाल साहित्यकार डाॅ॰मंजरी शुक्ला, वरिष्ठ बाल साहित्यकार प्रकाश मनु, प्रख्यात बाल साहित्यकार डाॅ॰ नागेश पांडेय संजय, प्रखर बाल साहित्यकार अरविन्द कुमार साहु, स्कूली बच्चों की दुनिया को कहानी में विषय बनाने वाली बाल साहित्यकार अनीता चमोली ‘अनु’,बढ़ते बच्चों की तेजी से बदलती दुनिया की नब्ज़ पर गहरे हाथ रखने वाले बाल साहित्यकार डाॅ॰ मोहम्मद साजिद खान की नायाब कहानियां शामिल हैं। 

बच्चों ने भी अपने चित्र भेजे हैं। बच्चों की जीवंत फोटो भी पत्रिका में शामिल की गई है। इस तरह से लगभग बीस बच्चे प्रत्यक्ष रूप से इस अंक में जुड़ गए हैं। ज्ञानवर्धक बातें, सरल शब्द पहेली, कहानी पूरी करो, चित्र बनाओं प्रतियोगिता, मुहावरे ढूंढो, जनवरी क्विज़ शामिल हैं। बच्चों को ज्ञान-विज्ञान से हलके से सरलता से परिचित कराने के लिए भी स्तंभ रखे गए हैं। कुल मिलाकर पत्रिका बहुत जल्दी ही एक सशक्त बाल पत्रिका के तौर पर स्थापित होने की सम्पूर्ण क्षमता रखती है।
एक अनाम बाल नाटक भी पत्रिका में शामिल है। 

पवन शर्मा ने जनवरी को बड़े ही रोचक ढंग से बच्चों के लिहाज़ से प्रस्तुत किया है। हुनरमंद चार बच्चों की फोटो के साथ उनका विवरण भी पत्रिका में दिया गया है।

रंग संयोजन बालमन के अनुसार रखे गए हैं। कहीं-कहीं चटकीले रंगों ने आलेखों को मंद कर दिया है। कुल मिलाकर एक-एक पेज पर ध्यान रखने की भरपूर कोशिश की गई है। पत्रिका का कागज उम्दा है। ग्लैज़्ड पेपर वह भी एक-एक पेज रंगीन हैं। आवरण पेज और मोटा है, जिससे पत्रिका लंबे समय तक सुरक्षित रह सकेगी। 

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अपूर्व उड़ान मासिक, 384, सेक्टर 36 नोएडा, गौतमबुद्धनगर
 उत्तर प्रदेश। 201301
। संपर्क-0120 4243133
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-मनोहर चमोली ‘मनु’

मोबाइल-09412158688

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