ऊंची नहीं फेंकता ऊँट
-मनोहर चमोली ‘मनु’
एक ऊँट था। उसकी पीठ कुछ ज्यादा ही ऊंची थी। यही कारण था कि वह ऊंची-ऊंची फेंकता।
एक दिन वह टहलने निकला। नदी किनारे चूहा, गिलहरी, बंदर और खरगोश किसी बात पर हंस रहे थे। ऊँट भी जोर-जोर से हंसने लगा।
खरगोश ने पूछा-‘‘ऊँट भाई। तुम क्यों हंसे?’’
ऊँट बोला-‘‘तुम्हें देखकर हंस रहा हूं। मेरे सामने तुम सब कुछ नहीं।’’
चूहे ने पूछा-‘‘मतलब क्या है तुम्हारा?’’
ऊँट गरदन झटकते हुए बोला-‘‘मतलब ये कि मेरा एक दिन का राशन-पानी तुम सबके लिए महीने भर का होता है। जहां तक तुम देख सकते हो, वहां तक तो मेरी गर्दन ही चली जाती है। मैं रेगिस्तान का जहाज हूं। मैं वहां आसानी से दौड़ सकता हूँ। बिना रुके और बिना थके। तुम वहां चार कदम चलोगे तो हांफने लगोगे। समझे!’’
यह सुनकर गिलहरी हंसने लगी। चूहा, खरगोश और बंदर भी हंस पड़े। ऊँट पैर पटकते हुए बोला-‘‘तुम क्यों हंसे?’’
गिलहरी हंसते हुए ही बोली-‘‘ऊँट भाई। माना कि तुम बहुत बड़े हो। लेकिन कोई बड़ा एक छोटा सा काम भी कर सके, यह जरूरी नहीं।’’
ऊँट कुछ समझ न पाया। बोला-‘‘मैं बच्चों के मुंह नहीं लगता।’’
बंदर भी हंसते हुए बोला-‘‘ऊँट भाई। नाराज़ क्यों होते हो?’’
ऊँट ने बंदर से कहा-‘‘ये सब पिद्दी भर के हैं। इनसे मैं क्या बात करूं ! तुम सामने आओ। तुम ही बोलो। ऐसा कौन सा काम है जो तुम कर सकते हो और मैं नहीं? हां, पेड़ पर चढ़ने के लिए मत कहना। बोलो।’’
गिलहरी उछलकर बंदर के कान के पास जा पहुंची। दूसरे ही पल बंदर दौड़कर कहीं चला गया। वह पीठ पर एक तरबूज ला रहा था। उसने तरबूज ऊँट के सामने रख दिया।
बंदर ऊँट से बोला-‘‘ये लो। तुम्हें मेरी तरह इस तरबूज को अपनी पीठ पर ढोकर लाना है। उठाओ। बीस कदम ही सही, जरा चलकर तो दिखाओ। मगर ध्यान रहे ! तरबूज लुढ़कना नहीं चाहिए।’’
ऊँट बेचारा सकपका गया। भला वह पहाड़ जैसी तिकोनी पीठ पर गोल मटोल तरबूज कैसे रख पाता! तरबूज को पीठ पर रखकर चलना तो और भी मुश्किल काम था। ऊँट खिसियाता हुआ वहां से खिसक लिया।
तभी से ऊँट अब ऊँची-ऊँची नहीं फेंकता।
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नंदन, साल 2018 का जनवरी अंक प्रकाशित हो गया है। अंक में प्रख्यात कवि शादाब आलम और रावेंद्रकुमार ‘रवि’ की कविताएं हैं। इस अंक में कथाकार रामशंकर अग्निहोत्री, अभिषेक मेहरोत्रा, योगेश्वर शर्मा, प्रो० योगेश चंद्र शर्मा, पूनम मेहता, रोचिका शर्मा, डॉ० अमिता भटनागर जैन, रेनू सैनी, विज्ञान भूषण, राजशेखर, आशा शर्मा, वेद मित्र, उदभ्रांत, रश्मिशील के साथ अपन की भी कहानी प्रकाशित हुई है। नए साल पर थीम स्टोरी सुनीता तिवारी ‘निगम’ और विमल चतुर्वेदी की हैं। नियमित स्तंभ तो हमेशा की तरह हैं ही। सुविधा के लिए अपनी कहानी यहाँ दे रहा हूँ।
-मनोहर चमोली ‘मनु’, गुरु भवन, निकट डिप्टी धारा, पोस्ट बॉक्स-23, पौड़ी 246001 मोबाइल-09412158688.
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