11 फ़र॰ 2012

ग़ज़ल - ‘रोने-धोने से......’

--------- ग़ज़ल - ‘रोने-धोने से......’ रोने-धोने से बता दे क्या भला हो जाएगा। हाँ मगर तू अपने लोगों से बुरा हो जाएगा।। बस्ती-बस्ती बेवजह भी चीखना अच्छा नहीं। इस बुरी आदत से तू ही बेसदा हो जाएगा।। तूने कह दी मैंने सुन ली इक ज़रा सी बात है। इक ज़रा सी बात से ही क्या से क्या हो जाएगा।। तेरी यादों में जले जो दीप बुझते ही नहीं। और दिल है जलते-जलते ही हवा हो जाएगा।। -मनोहर चमोली ‘मनु’.

2 टिप्‍पणियां:

यहाँ तक आएँ हैं तो दो शब्द लिख भी दीजिएगा। क्या पता आपके दो शब्द मेरे लिए प्रकाश पुंज बने। क्या पता आपकी सलाह मुझे सही राह दिखाए. मेरा लिखना और आप से जुड़ना सार्थक हो जाए। आभार! मित्रों धन्यवाद।