31 दिस॰ 2013

नंदन जनवरी 2014 बाल कहानी

एकजुटता में है ताकत

-मनोहर चमोली ‘मनु’

    चंकी चूहे का रो-रोकर बुरा हाल था। अब क्या करे? उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। चंकी के बैल हष्ट-पुष्ट थे। मेहनती थे। राजा शेर की सवारी चंकी के खेतों के सामने से गुजरी थी। चंकी अपने बैलों से खेतों को जोत रहा था। राजा को चंकी के बैल पसंद आ गए थे। राजा ने चंकी  के बैल जबरन हांक लिए। उसने अपने दरबारियों को आदेश दिया कि वे बैलों को सीधे महल ले चलें। बेचारा चंकी विरोध भी नहीं कर पाया। दरबारियों में लोमड़, भेड़िया और लकड़बग्घा थे। वे बैलों को मार-मारकर महल की ओर ले गए।
    चंकी बहुत मेहनती था। जल्दी उठता। हल उठाता। अपने बैलों को हांकता और खेतों की ओर चल पड़ता। खेत जोतता। बीज बोता। निराई-गुड़ाई करता। फसल को समय पर पानी से सींचता। फसलें लहलहातीं।
    चंकी समय-समय पर फसल की देख-रेख करता। जब फसल पक जाती, उसे काटता। भंडार भर लेता। छोटा-बड़ा पक्षी हो या जानवर। कीट हो या पतंगा। सब चंकी की मेहनत का सम्मान करते। कोई भी मुसीबत में होता, तो चंकी सबसे  पहले मदद को तैयार रहता। सब एक ही बात कहते-‘‘चंकी हम सबकी शान है।’’
    मगर आज तो हद ही हो गई थी। राजा चंकी के बैल छीन कर ले गया है, यह ख़बर आग की तरह फैल गई। सबने चंकी को घेर लिया। चंकी ने सारा किस्सा सुनाया।
    चींटी बोली-‘‘हम राजा को सबक सिखाएंगे।’’ चींटी ने सीटी बजाई। पलक झपकते ही सैकड़ों चींटियां इकट्ठी हो गई।
    केकड़ा बोला-‘‘राजा है, तो क्या हुआ? ऐसे तो कोई भी किसी को लूट लेगा।’’ केकड़े ने ताली बजाई। क्षण भर में ही वहां सैकड़ों केकड़े जमा हो गए।     हजारों मकड़ियां आ गईं। बिच्छुओं की फौज से खेत भर गया। कांव-कांव करते कौओं का जमघट लग गया। बाज, चील, उल्लू और चमगादड़ों का तांता लग गया। सबने मिलकर विशालकाय रथ बनाया। फिर रथ राजा के महल की ओर चल पड़ा।
    रथ के पीछे पशु-पक्षियों की फौज चल पड़ी। फौज ने कोहराम मचा दिया। चूहों के दल ने राजा के अन्न भंडार पर हमला बोल दिया। महल में भगदड़ मच गई। राजा का सलाहकार सियार हांफते हुए आया। उसने शेर से कहा-‘‘महराज। गजब हो गया! चंकी चूहे ने महल पर हमला बोल दिया है। हमारी फौज उसकी फौज का सामना करने के लिए तैयार ही नहीं है। अगर चंकी को उसके बैल वापिस नहीं दिए गए तो हम युद्ध हार जाएंगे। महल तबाह हो जाएगा। चंकी के बैल छोड़ने में एक पल की भी देरी ठीक नहीं है। महाराज। देर मत कीजिए।’’
    राजा डर गया। उसने चंकी के बैलों को छोड़ दिया। युद्ध शुरू होने से पहले ही समाप्त हो गया। चंकी को उसके बैल मिल गए। सब नाचते-गाते वापस लौट आए। चंकी अपने बैलों को चूम रहा था।000

2 टिप्‍पणियां:

  1. मनोहर मनु जी, पहली दफा आपके ब्लॉग पर आया बाल साहित्य पर आपका लेखन मुझे प्रभावित कर गया वैसे भी देश मे बाल साहित्यकारों का अभाव है इसलिए आप हमारे समय मे और भी महत्वपूर्ण हो जाते है। आपके प्रभावी और स्तरीय लेखन को कोटि कोटि साधुवाद...लिखते रहिए मेरी असीम शुभकामनाएं...
    डॉ.अजीत

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