उड़ान अनोखी
-मनोहर चमोली ‘मनु’
एक तितली रो रही थी। जुगनू ने पूछा तो वह कहने लगी-‘‘मैं आसमान में उड़ना चाहती हूं। सुना है आसमान से धरती नारंगी जैसी दिखाई देती है।’’ जुगनू हँसने लगा। कहने लगा-‘‘उड़ती तो हो। अब और किस तरह उड़ना चाहती हो?’’
तितली ने सिसकते हुए कहा-‘‘मेरा उड़ना भी कोई उड़ना है। मेरी उड़ान तो छोटी-सी होती है।’’ जुगनू ने समझाया-‘‘और मेरी? मेरी उड़ान तो बहुत ही छोटी है। लेकिन हम दोनों आसमान में ही उड़ते हैं। जमीन के नीचे नहीं। समझी।’’
तितली ने जवाब दिया-‘‘समझना तुम्हें चाहिए। ज़रा याद करो। हम छोटी सी उड़ान भरते हैं। थक जाते हैं। बार-बार हमें धरती की ओर लौटना पड़ता है। है न? अरे ! उड़ान हो तो गिद्ध जैसी।’’
यह क्या! गिद्ध की बात की तो गिद्ध सामने आ गया। दोनों को सिमटता देख गिद्ध हंसने लगा। कहने लगा-‘‘डरो मत। रोना बंद करो। मेरे पैर में बैठ जाओ।’’ तितली काँपने लगी और बोली, ‘‘तुम पंख फड़फड़ाओगे तो मैं डर जाऊँगी। तिनके की तरह उड़ जाऊँगी।’’ जुगनू बोला-‘‘तुम्हारी उड़ान तो बहुत ऊंची होती है। गिरे तो हड्डी-पसली भी न बचेगी।’’
तीनों की बातें बया सुन रही थी। वह बोली, ‘‘चाहो तो मेरा घोंसला ले लो। गिद्ध उसे पंजों में पकड़ लेगा। तुम घोंसले में बैठकर दुनिया की सैर करना।’’ तितली ने हँसते हुए कहा, ‘‘यह ठीक रहेगा। लेकिन।’’ गिद्ध ने पूछा, ‘‘लेकिन क्या?’’
तितली बोली, ‘‘बारिश आ गई तो? मुझे भीगने से जुकाम हो जाता है।’’ गिद्ध ने हसंते हुए कहा, ‘‘मेरे पंख किसी छतरी से कम नहीं।’’ तितली भी हँंसने लगी।
तितली हँसते हुए बोली, ‘‘अरे हाँ। यह ठीक है, लेकिन।’’ बया ने पूछा, ‘‘फिर लेकिन?’’ तितली ने कहा, ‘‘मुझे भूख लगेगी तब क्या होगा?’’ बया ने सुझाया, ‘‘तुम फूलों का रस जमा कर लो।’’ तितली बोली, ‘‘हाँ, यह ठीक रहेगा, लेकिन।’’
गिद्ध ने पूछा, ‘‘अब क्या?’’
तितली कहने लगी, ‘‘मैं फूलों का रस जमा कैसे करूँगी? रस जमा करते-करते तो कई दिन यूं ही बीत जाएँगे।’’ पेड़ पर ही मधुमक्खियों का छत्ता था। रानी मधुमक्खी अब तक चुप थी। वह बोली, ‘‘तुम मेरा छत्ता ले जाओ। इसमें ख़ूब सारा शहद है। भूख लगे तो कुछ शहद तुम भी खा लेना। वापिस आकर छत्ता वापिस कर देना।’’
तितली ख़ुश हो गई। कहने लगी, ‘‘यह ठीक है। अब आएगा मज़ा!’’ जुगनू तितली की पीठ पर जा बैठा। तितली घोंसले में जा बैठी। गिद्ध ने पंजों से घोंसला उठाया और चल दिया अपनी अनोखी उड़ान पर। बया और रानी मधुमक्खी सहित कई सारे जीव-जन्तु उचक-उचक कर आसमान की ओर देख रहे थे। ॰॰॰
लेखक परिचय: मनोहर चमोली ‘मनु’: ‘ऐसे बदली नाक की नथ’ और ‘पूछेरी’ पुस्तकें नेशनल बुक ट्रस्ट से प्रकाशित हुई हैं। ‘चाँद का स्वेटर’ और ‘बादल क्यों बरसता है?’ पुस्तके रूम टू रीड से प्रकाशित हुई हैं। तीन और पुस्तकंे शीघ्र प्रकाशित। बाल कहानियों का संग्रह ‘अन्तरिक्ष से आगे बचपन’ उत्तराखण्ड बालसाहित्य संस्थान से पुरस्कृत। बाल साहित्य में वर्ष 2011 का पं॰प्रताप नारायण मिश्र सम्मान मिल चुका है। जीवन में बचपन’ बाल कहानियों का संग्रह बहुचर्चित। बाल कहानियों की पच्चीस से अधिक पुस्तकें मराठी में अनुदित होकर प्रकाशित। उत्तराखण्ड में कहानी ‘फूलों वाले बाबा’ कक्षा पाँच की पाठ्य पुस्तक ‘बुराँश’ में शामिल। दिल्ली के पब्लिक स्कूलों में हिन्दी की सहायक पुस्तक में नाटक ‘मस्ती की पाठशाला’ शामिल। हिमाचल सरकार के प्रेरणा कार्यक्रम के तहत बुनियादी स्कूलों में 13 कहानियां शामिल। उत्तराखण्ड के शिक्षा विभाग में शिक्षक हैं। सम्पर्क: भितांई, पोस्ट बाॅक्स-23,पौड़ी, पौड़ी गढ़वाल. 246001.उत्तराखण्ड. मोबाइलः09412158688.
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