18 जन॰ 2020

बाल साहित्य: बालमन की अभिव्यक्तियाँ -मनोहर चमोली ‘मनु’


मुझे ऐसी दुनिया चाहिए जहाँ ......

॰ऐसी दुनिया हो, जहाँ सरकार न हो।
॰ऐसी दुनिया जहां कोई स्कूल न हो।
॰ऐसी दुनिया हो, जहाँ बच्चों को 5 साल से वोट देने का अधिकार मिले।
॰ऐसी दुनिया जिसमें सिर्फ एक दिन स्कूल लगे।


॰ऐसी दुनिया जहाँ लंच टीचर की ओर से हो।
॰जहाँ नौकरी के लिए पढ़ना न पढ़े।
॰सारे टीचर हिचकी फिल्म की मैम जैसे हों।
॰एक चुटकी बजाने पर यह दुनिया रुक जाए।
॰ऐसी दुनिया जहाँ सारे सपने पूरे हो जाएं।-
॰बच्चों की बातों को जहाँ सुना जाए।
॰जहाँ हर एक लड़की का सम्मान हो।
॰ऐसी दुनिया, जहाँ बात-बात पर कॅरियर के लिए फोर्स न किया जाए।
॰माक्र्स की जगह हुनर और कौशल को अहमियत दी जाए।
॰ऐसी दुनिया, जिसमें कोई बड़ा हम छोटों को न डाँटे।
॰जहाँ सब एक साथ रहें, अलग नहीं।
॰ऐसी दुनिया जिसमें शोर न हो।
॰ऐसी दुनिया जहाँ ज्वाइन्ट फैमिली हो।
॰मुझे ऐसी दुनिया चाहिए जहाँ स्कूल का काम करना अनिवार्य न हो।
॰हमारा स्कूल एक हौस्टेल हो।
॰धुआँ रहित दुनिया हो।
॰उस दुनिया में उदासी और खालीपन न हो।
॰पूरी दुनिया मेरी हो। सब मेरा हो।
॰ऐसी दुनिया जहां स्कूल जाना स्वैच्छिक हो।
॰टी॰ वी॰ देखने पर कोई रोक न हो।
॰जहाँ पढ़ाई कम और खेल ज़्यादा हों।
॰ऐसी दुनिया जहाँ जादू टोना और शक्तियां हों और मैं वहां का राजा होऊँ।
॰॰॰
बताते चलें कि देहरादून में अंकुर एक सृजनात्मक पहल द्वारा आयोजित ‘अभिव्यक्ति विकास कार्यशाला‘ के तहत एक गतिविधि के लिए पाँच मिनट का समय दिया गया था। 18 सरकारी,गैर सरकारी और कान्वेन्ट स्कूल के 33 बच्चों ने मैं ऐसी दुनिया चाहती/चाहता हूँ शीर्षक के तहत अपने मन की बातें लिखीं। कक्षा 2 से कक्षा 8 में पढ़ रहे इन बच्चों ने बहुत कुछ लिखा है। जिन्हें पढ़कर बहुत आनन्द आया। हैरानी हुई और यह अहसास हुआ कि हम बड़े बच्चों को कितना कमतर समझते हैं। इन बच्चों की अभिव्यक्तियों के एक-एक वाक्या आपके लिए अवलोकनार्थ यहाँ साझा कर रहे हैं।


1 टिप्पणी:

यहाँ तक आएँ हैं तो दो शब्द लिख भी दीजिएगा। क्या पता आपके दो शब्द मेरे लिए प्रकाश पुंज बने। क्या पता आपकी सलाह मुझे सही राह दिखाए. मेरा लिखना और आप से जुड़ना सार्थक हो जाए। आभार! मित्रों धन्यवाद।