22 अप्रैल 2020

माचिस की डिबिया -मनोहर चमोली ‘मनु ,nandan child magazine,APR 2020

माचिस की डिबिया
-मनोहर चमोली ‘मनु
स्कूल की छुट्टी हुई। सभी स्कूल गेट की ओर बढ़ रहे थे। रेहाना ने पूछा तो अभेद ने घबराते हुए बताया-‘‘सोमवार से एग्ज़ाम हैं।’’ यह सुनकर रेहाना हंस पड़ी-‘‘अभेद ! लगता है एग्ज़ामोफोबिया के शिकार हो गए हो। मंथली टैस्ट में भी तुम ऐसे ही डरे रहे। माक्र्स तो अच्छे ही आए थे। फिर डर कैसा?’’ अखिल ने चिढ़ाते हुए कहा-‘‘ये ऐसा ही है। जब कभी हम स्कूल के लिए थोड़ा लेट हो जाते हैं, तब भी तब भी ये ऐसा ही हो जाता है। इसका कुछ नहीं हो सकता।’’

नाहिद ने कहा-‘‘ये टेंशन लेता है।’’ एक के बाद एक दोस्त अभेद को चिढ़ाने लगे तो रेहाना ने बात को बदलते हुए कहा-‘‘बहुत हो गया। तुम सब इसे सपोर्ट करने की जगह इसका मजाक उडा रहे हो। अच्छे दोस्त ऐसा नहीं करते। चलो। अब घर चलें।’’ दूसरे दिन स्कूल का इंटरवल हुआ तो बच्चे मस्ती करने लगे। अभेद चुपचाप एक कोने में बैठा था। रेहाना ने देखा तो वह कहने लगी-‘‘आज कुछ नहीं खाया? अभेद ने कहा-‘‘एग्ज़ाम डेट सुनने के बाद से मेरा तो खाने का मन ही नहीं है। मुझे तो आज रात नींद भी नहीं आएगी।’’ रेहाना पहले तो मुस्कराई फिर धीरे से बोली-‘‘क्या तुम शाम को मेरे घर आ सकोगे? मेरे पास एक मैजिक मैच बाॅक्स है।’’ अभेद ने पूछा-‘‘जादुई माचिस की डिब्बी ?’’

रेहाना ने बताया-‘‘हां। उसे मेरे अब्बू को उनके अब्बू ने दी थी। उनके अब्बू को उनके अब्बू ने दी थी। वह करिश्मा करती है। लेकिन उस डिबिया को भूल कर न किसी को दिखाना और न ही उसे खोलना। यदि तुमने ऐसा किया तो उसका असर जाता रहेगा। तुम चुपचाप उसे अपने स्कूल बैग में रख लेना और स्कूल बैग को अपने आस-पास ही रखना। उस मैच बाॅक्स के बारे में किसी से कुछ कहना भी नहीं है। मैं उस मैच बाॅक्स को तुम्हें एक बार ही दे सकूंगी।’’ अभेद मुस्करा उठा। कहने लगा-‘‘रेहाना, तुम कितनी अच्छी हो। क्या वाकई उस मैच बाॅक्स से मेरी परेशानी दूर हो जाएगी?’’ रेहाना ने आंखें मटकाते हुए कहा-‘‘ये तो तुम्हंे मैच बाॅक्स रखने के बाद ही पता चलेगा।’’ अभेद ने कहा-‘‘ठीक है। मैं छुट्टी के बाद सीधे तुम्हारे घर आ जाऊंगा।’’ तभी घंटी बजी। सब अपनी-अपनी क्लास में चले गए। 

छुट्टी हुई तो अभेद सीधे रेहाना के घर चला आया। माचिस की डिबिया देते हुए रेहाना बोली-‘‘तुम्हें याद है न? कल मुझे स्कूल में वापिस कर देना।’’ अभेद ने खुश होकर हां में सिर हिलाया। सुबह रेहाना स्कूल गेट पर खड़ी थी। वह अभेद का इंतजार कर रही थी। अभेद दौड़ता हुआ आया। माचिस की डिबिया रेहाना को लौटाते हुए वह बोला-‘‘कमाल हो गया। कल मैंने भरपेट डिनर भी किया और मुझे बढ़िया नींद भी आई। थैंक्स रेहाना।’’ रेहाना ने माचिस की डिबिया को बैग में रखते हुए कहा-‘‘मैंने कहा था न, ये मैजिक मैच बाॅक्स है। अब चलो।’’ दोनों हंसते हुए अपनी क्लास की ओर चल पड़े। 


दो-तीन सब ठीक रहा। फिर एक दिन अभेद को परेशान देख रेहाना ने पूछा-‘‘अब क्या हुआ? तुम फिर टेंशन में हो क्या?’’ अभेद ने धीरे से कहा-‘‘क्या करूं? पहला ही पेपर मैथ्स का है। मैथ्स से मुझे बहुत डर लगता है।’’ रेहाना ने मुस्कराते हुए कहा-‘‘बस इतनी सी बात। डोंट वरी। बिलाल सर कह रहे थे कि पेपर हैल्दी माहौल में होंगे। हमें यदि किसी क्वेश्चन में प्राॅब्लम हो तो हम टीचर्स से पूछ सकते हैं। टीचर्स हमारी हेल्प करेंगे।’’ 

अभेद ने कहा-‘‘वो तो है। लेकिन फिर भी, मैं ठीक से तैयारी नहीं कर पा रहा हूं। बस मैथ्स का पेपर किसी तरह से निपट जाए तो फिर कोई प्राॅब्लम नहीं।’’ रेहाना ने कहा-‘‘अब हो भी क्या सकता है। आज की ही तो बात है। कल तो मैथ्स का पेपर है ही। तुम बस रिवीजन करो न।’’ अभेद ने कहा-‘‘हो क्यों नहीं सकता। मैं शाम को तुम्हारे घर आ रहा हूं। प्लीज़। बस आज रात के लिए मुझे वो जादुई मैच बाॅक्स और दे दो।’’ रेहाना ने धीरे से कहा-‘‘ओके। लेकिन ये लास्ट है। प्राॅमिस करो कि घर जाते ही खूब प्रैक्टिस करोगे। एक-एक चैप्टर का रिवीजन करोगे। करोगे न?’’ अभेद बोला-‘‘प्रैक्टिस तो मैं कर ही रहा हूं। लेकिन घबराहट है कि जा ही नहीं रही है।’’ 

शाम को अभेद रेहाना के घर जाकर माचिस की डिबिया ले गया। सुबह वह फिर दौड़ता हुआ आया। रेहाना उसे स्कूल गेट पर ही मिल गई। अभेद बोला-‘‘ये लो रेहाना। कमाल हो गया। मैंने देर रात तक रिवीजन किया। मैं सुबह जल्दी भी उठ गया। थैक्स अगेन।’’ दोनों क्लास की ओर चल पड़े। पेपर खत्म हुआ तो रेहाना ने अभेद से पूछा-‘‘पेपर कैसा हुआ?’’ अभेद मुस्कराते हुए बोला-‘‘बहुत अच्छा रहा।’’ रेहाना ने कहा-‘‘अच्छा ही होना चाहिए। सभी पेपरों की जमकर तैयारी करो। मैं भी कर रही हूं। चलती हूं।’’ यह कहकर रेहाना घर की ओर चल पड़ी। 

आखिरी पेपर देने के बाद अभेद स्कूल गेट पर खड़ा था। रेहाना को देखकर वह बोला-‘‘मैं आज शाम फिर तुम्हारे घर आ रहा हूं।’’ रेहाना हंस पड़ी-‘‘आज ! क्यों? अब तो पेपर भी खत्म हो गए हैं।’’ अभेद ने धीरे से कहा-‘‘तीन दिन की छुट्टी है। फिर रिजल्ट भी तो है। मैं टेंशन में हूं। मैजिक मैच बाॅक्स ही मुझे टेंशन फ्री रखेगी। प्लीज ! मना मत करना। मैं उसे रिजल्ट के दिन वापिस ले आऊंगा। इसके बाद फिर कभी नहीं मांगूगा।’’ रेहाना हंस पड़ी। अभेद शाम को माचिस की डिबिया ले गया। तीन दिन बाद स्कूल खुला। रेहाना उसे रास्ते में मिल गई। अभेद ने माचिस की डिबिया रेहाना को पकड़ा दी। रेहाना ने पूछा-‘‘छुट्टियां कैसी रहीं?’’

अभेद ने जवाब दिया-‘‘एकदम मस्त। तीन दिन की छुट्टियां चुटकियों में बीत गईं।’’ रेहाना ने माचिस की डिबिया बैग में रखते हुए कहा-‘‘जल्दी चलो। लगता है रिजल्ट एनाउंस होने लगे हैं।’’ रेहाना ने अभेद का हाथ पकड़ लिया। दोनों ग्राउंड की ओर भागने लगे। तभी लाउडस्पीकर से आवाज आई-‘स्कूल की टाॅप टेन सूची के नाम इस प्रकार से हैं। सिमरन, आबिद, अनुभव, रिया, सुरजीत, शबाना, एंजेल, बयार, रेहाना और अभेद।’ दोनों अपना-अपना नाम सुनकर ठिठक गए। रेहाना मुस्कराई। कहने लगी-‘‘अभेद। तुम तो यूं ही घबरा रहे थे। सुना तुमने ! टाॅप टेन लिस्ट में तुम्हारा नाम भी पुकारा गया है।’’ अभेद खुशी से उछल पड़ा। कहने लगा-‘‘ये सब मैजिक मैच बाॅक्स का कमाल है।’’

रेहाना ने बैग से माचिस की डिबिया निकाल ली। डिबिया अभेद को देते हुए रेहाना ने कहा-‘‘अब इसे तुम रखो।’’ अभेद हैरान था। कहने लगा-‘‘यह मैजिक मैच बाॅक्स तो तुम्हारे अब्बू के अब्बू के अब्बू.......।’’ रेहाना को जोर-जोर से हंसता हुआ देख अभेद चुप हो गया। रेहाना ने कहा-‘‘इस मैच बाॅक्स को खोलो।’’ अभेद ने उसे खोलने से मना कर दिया। रेहाना ने उस मैच बाॅक्स का रैपर खोल दिया। मैच बाॅक्स खाली थी। साधारण माचिस की डिबिया को देख अभेद हैरान था। रेहाना ने कहा-‘‘अभेद। ये सिंपल मैच बाॅक्स थी। कोई मैजिक बाॅक्स नहीं। मैजिक कहीं नहीं होता। वह तो हमारे अंदर होता है। यदि तुम टाॅप टेन में शामिल हुए हो तो सिर्फ और सिर्फ अपनी मेहनत और लगन से। तुम्हारा आत्मविश्वास तुम्हारे अंदर था। दुनिया में कोई भी चीज किसी जादू से हासिल नहीं हो सकती। वह केवल अपनी मेहनत और काबलियत से ही हासिल हो सकती है। उदाहरण तुम हो। हो न?’’ अभेद कुछ नहीं बोला। बस चुपचाप वह उस माचिस की डिबिया को देख रहा था, जिसे रेहाना टुकड़े-टुकड़े कर फेंक चुकी थी। ॰॰॰
-मनोहर चमोली ‘मनु’,पोस्ट बाॅक्स-23पौड़ी गढ़वाल। 246001 Uttarakhand
chamoli123456789@gmail.com 

1 टिप्पणी:

यहाँ तक आएँ हैं तो दो शब्द लिख भी दीजिएगा। क्या पता आपके दो शब्द मेरे लिए प्रकाश पुंज बने। क्या पता आपकी सलाह मुझे सही राह दिखाए. मेरा लिखना और आप से जुड़ना सार्थक हो जाए। आभार! मित्रों धन्यवाद।