4 मई 2012

औरत में औरत का होना.......


ताकि........
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आसान नहीं होता
औरत में औरत का होना
औरत होना एक लैंगिक पहचान नहीं
एक वृहद अनुभव है
ग्रन्थ है जीवन का
औरत में औरत का होना
आसान नहीं होता
औरत का खुद से लड़ना
औरत के अस्तित्व के लिए,
अस्मिता के लिए
आसान नहीं होता
औरत का लड़ना परिवार से,
पड़ोस से और इस समाज से
आसान नहीं होता
लड़ने की आदत को बनाए रखना
जूझते रहने की कुव्वत को बचाए रखना
खुद से लड़ना और लड़कर जीतना
परिवार से,पड़ोस से, इस समाज से
ऐसी लड़ाई जो उसने लड़ी है अनवरत्
वह सदियों से लड़ती आई है
अपने लिए,अपनो के लिए,
पड़ोस के लिए और समाज के लिए
औरत को औरत होना ही होगा
ताकि ये समूची सृष्टि बची रहे
आएगा वो दिन भी जब
औरत उठाएंगी मशाल
वे होंगी आगे और सबसे आगे
और ये दुनिया उसके पीछे चलेगी
खुद को बचाने के लिए।
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-मनोहर चमोली ‘मनु’
(डायरी से- मार्च 2004)

5 टिप्‍पणियां:

यहाँ तक आएँ हैं तो दो शब्द लिख भी दीजिएगा। क्या पता आपके दो शब्द मेरे लिए प्रकाश पुंज बने। क्या पता आपकी सलाह मुझे सही राह दिखाए. मेरा लिखना और आप से जुड़ना सार्थक हो जाए। आभार! मित्रों धन्यवाद।