23 मई 2012

कुछ निशानियाँ दे जा।


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जाना है तो जा पर कुछ निशानियाँ दे जा।
अब बची ज़िंदगी के लिए उदासियाँ दे जा।।

दिल भी, धड़कन भी ले जा मगर।

ग़ज़लें लिखने को बस कुछ अँगुलियाँ दे जा।।

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-मनोहर चमोली ‘मनु’
सुबह सवेरे,18 मई 2012.
मेरा मेल-manuchamoli@gmail.com है। ब्लाॅग लिंक है- http://alwidaa.blogspot.in

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