______________
चुप रहकर पछताना भी
ख़ुद से फिर टकराना भी
पैर पटक कर जाओगे
दबे पाँव तब आना भी
अगर,मगर,लेकिन ये सब
लगते हैं बचकाना भी
जैसे जिया सर उठाकर
ऐसे ही मर जाना भी
जीवन की रेल पेल में
कभी याद तो आना भी
___________________
-मनोहर चमोली ‘मनु’
डायरी से- 10.10.2010
चुप रहकर पछताना भी
ख़ुद से फिर टकराना भी
पैर पटक कर जाओगे
दबे पाँव तब आना भी
अगर,मगर,लेकिन ये सब
लगते हैं बचकाना भी
जैसे जिया सर उठाकर
ऐसे ही मर जाना भी
जीवन की रेल पेल में
कभी याद तो आना भी
___________________
-मनोहर चमोली ‘मनु’
डायरी से- 10.10.2010
बहुत सुन्दर...मनु...
जवाब देंहटाएंshukriya aapka bahut-bahut...
हटाएं