3 मई 2012

जो कहते हो वो किया तो करो....

जो कहते हो वो किया तो करो
कड़वा ये मिजाज पिया तो करो

मुकाबला कल का कल ही करना
आज को बस ज़रा जिया तो करो

सुबह से शाम तक कहीं भी रहो
रात को कहीं पर ठिया तो करो

नदी के पत्थर ने नदी से कहा
कभी हमें निहार लिया तो करो

तन्हाई तुम्हें खा न जाए कहीं
बंद घड़ी का सेल नया तो करो
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मनोहर चमोली ‘मनु’.

2 टिप्‍पणियां:

यहाँ तक आएँ हैं तो दो शब्द लिख भी दीजिएगा। क्या पता आपके दो शब्द मेरे लिए प्रकाश पुंज बने। क्या पता आपकी सलाह मुझे सही राह दिखाए. मेरा लिखना और आप से जुड़ना सार्थक हो जाए। आभार! मित्रों धन्यवाद।