इश्क में खुद को आजमाता है
कांच को आंच क्यों दिखाता है
फायदा क्या लिपट के रोने से
क्यों बुजी आग को जलाता है
आखिरी वक्त के सवेरे में
क्यों मुझे मौत से डराता है
मर गया उसकी आँख का पानी
अब तो बस रो के वो दिखाता है
कितना तन्हा है आदमी ए 'मनु'
अब तो बस गम में मुस्कराता है.
-मनोहर चमोली 'मनु'
कांच को आंच क्यों दिखाता है
फायदा क्या लिपट के रोने से
क्यों बुजी आग को जलाता है
आखिरी वक्त के सवेरे में
क्यों मुझे मौत से डराता है
मर गया उसकी आँख का पानी
अब तो बस रो के वो दिखाता है
कितना तन्हा है आदमी ए 'मनु'
अब तो बस गम में मुस्कराता है.
-मनोहर चमोली 'मनु'
क्या आशिकाना अंदाज़ है ........ बहुत खूब .......
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