29 सित॰ 2010

बाल कविता - 'जाड़ा....'

जाड़ा थर थर करता आया
बर्फ हवा भी साथ में लाया
टोपी जूते मोज़े पहने
मफलर जर्सी अपने गहने
गरम रजाई वाह भई वाह
सूरज चाचू जल्दी आ.
-मनोहर चमोली 'मनु'
[२९-९-2010]

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

यहाँ तक आएँ हैं तो दो शब्द लिख भी दीजिएगा। क्या पता आपके दो शब्द मेरे लिए प्रकाश पुंज बने। क्या पता आपकी सलाह मुझे सही राह दिखाए. मेरा लिखना और आप से जुड़ना सार्थक हो जाए। आभार! मित्रों धन्यवाद।