29 सित॰ 2010

गजल-इश्क में खुद को ....

इश्क में खुद को आजमाता है
कांच को आंच क्यों दिखाता है
फायदा क्या लिपट के रोने से
क्यों बुजी आग को जलाता है
आखिरी वक्त के सवेरे में
क्यों मुझे मौत से डराता है
मर गया उसकी आँख का पानी
अब तो बस रो के वो दिखाता है
कितना तन्हा है आदमी ए 'मनु'
अब तो बस गम में मुस्कराता है.
-मनोहर चमोली 'मनु'

1 टिप्पणी:

यहाँ तक आएँ हैं तो दो शब्द लिख भी दीजिएगा। क्या पता आपके दो शब्द मेरे लिए प्रकाश पुंज बने। क्या पता आपकी सलाह मुझे सही राह दिखाए. मेरा लिखना और आप से जुड़ना सार्थक हो जाए। आभार! मित्रों धन्यवाद।