28 मार्च 2012

बाल कविता- 'हवा आने दे' ... [-मनोहर चमोली ‘मनु’]



लूसी बोली म्याऊं म्याऊं
चूंचूं  चूहे    तुझको खाऊं
मैं   हूं   मौसी    शेर   की
मुझको  चिंता  काहे  की
पहले    चूहा      घबराया
बिल  में जाकर  इतराया
चूंचूं     बोला      रहने   दे
अंदर     हवा     आने   दे।

-मनोहर चमोली 'मनु' manuchamoli@gmail.com

2 टिप्‍पणियां:

यहाँ तक आएँ हैं तो दो शब्द लिख भी दीजिएगा। क्या पता आपके दो शब्द मेरे लिए प्रकाश पुंज बने। क्या पता आपकी सलाह मुझे सही राह दिखाए. मेरा लिखना और आप से जुड़ना सार्थक हो जाए। आभार! मित्रों धन्यवाद।