30 सित॰ 2010

मन की बात ...

'नाराज करो तो माफ़ी मांगो और नाराज हो तो माफ़ करो..'
इस कहावत में सच्चे जीवन जीने की सच्चाई समाहित है.
आप क्या मानते हैं?

2 टिप्‍पणियां:

यहाँ तक आएँ हैं तो दो शब्द लिख भी दीजिएगा। क्या पता आपके दो शब्द मेरे लिए प्रकाश पुंज बने। क्या पता आपकी सलाह मुझे सही राह दिखाए. मेरा लिखना और आप से जुड़ना सार्थक हो जाए। आभार! मित्रों धन्यवाद।