2 अक्तू॰ 2010

मौज़ूद रहेंगे--kvita.

उदास होंगे महीने
साल हो जाएँगे वीरान
फट पड़ेगी धरती
बादल टूट के बरसेगा
प्रेम फिर भी प्रेम रहेगा
गर्दिश में रहे ग़रीबी
तंगहाल मानवता
रो पड़ेगी ममता
थर्राएगी ये हवा
प्रेम फिर भी प्रेम रहेगा
चाहे जो भी हो
बदलाव नियम भी हो
प्रेम, माँ और उम्मीद
हर दम यहाँ मौज़ूद रहेंगे
चाहे मौत सबको हर ले
फिर भी ये रहेंगे।
[२-१०-2010]
-manohar chamoli 'manu'

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