12 अप्रैल 2012

......बच्चे बस सोते रह जाएँ......

खाली चूल्हा जलता क्यों है
उस पर तवा तपता क्यों है

एक  ज़रा  सी  रोटी  पे  ही
जीवन सारा खटता क्यों है

गेहूँ,   आटा,    रोटी,   भूख
सबका रंग बदलता क्यों है

सड़कों  पे रोटी  का बिकना
माँ को ये  अख़रता  क्यों है

बच्चे  बस   सोते  रह जाएँ
वो  ये दुआ   करता  क्यों  है

-मनोहर चमोली ‘मनु’

2 टिप्‍पणियां:

  1. bahut hriday sparshi shabd....jo maa ye dua kare ki bachcha soya rahe sochiye wo kitani dukhi hai ki bachcha uth kar fir se roti na mange.....bahut sundar rachna ...kam se kam shabd aur aam shabdon se rachi gayi.....

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  2. अंतर्मन से आपका आभारी हूँ। आपने इसी शेर को कितनी आसानी से पकड़ लिया कि बच्चे के सोते रहने की दुआ के पीछे ध्येय क्या है। एक बार फिर से आभारी हूँ आपका।

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यहाँ तक आएँ हैं तो दो शब्द लिख भी दीजिएगा। क्या पता आपके दो शब्द मेरे लिए प्रकाश पुंज बने। क्या पता आपकी सलाह मुझे सही राह दिखाए. मेरा लिखना और आप से जुड़ना सार्थक हो जाए। आभार! मित्रों धन्यवाद।