23 अप्रैल 2012

हमने तुमको समझा कुछ

हमने तुमको समझा कुछ       
तुमने हमको समझा कुछ

पगला है या दीवाना
सारी रात चिल्लाता कुछ

इश्क बला है यारों ये
दरद दवा की देता कुछ

यारी पूरी रखता है
फिर भी राज़ छिपाता कुछ

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-मनोहर चमोली ‘मनु’
-20. 4. 2012. सुबह सवेरे.

2 टिप्‍पणियां:

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