28 अप्रैल 2012

जीवन के हैं रंग अनेक.....



 खोया ही कम पाया जी
तब भी जीवन भाया जी

शाम ढले ही छिप जाए
मेरा अपना साया जी

आलस छोड़ो जग जाओ
सूरज भीतर आया जी

जीवन के हैं रंग अनेक
कहीं धूप तो छाया जी

तेरे इश्क का नगमा तो
खुलकर मैंने गाया जी

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-मनोहर चमोली ‘मनु’
-28 4. 2012. सुबह सवेरे में।

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