12 अप्रैल 2012

माँ की सादगी मुझे सँवरने नहीं देती-----




            ये   यादें    हैं    जो    संभलने   नहीं   देती
बस   ये  कोसों   दूर   बहकने  नहीं   देती

वो  तेरे  पास  होकर  मेरा  किस  तरह है
तेरी  चाहत  उसे  मेरा   बनने  नहीं  देती

दिल क्या धड़कन  भी  बदल सकता हूँ मैं
पर कोई बात  मुझे  ऐसा  करने नहीं देती

चाहा   सँवार    लूँ   अपना   चेहरा  मगर
माँ  की   सादगी   मुझे  सँवरने  नहीं देती

रिश्वत  लाख  झुका  दे  तुझे लेकिन  मेरी
अना   है   जो   मुझे   बदलने   नहीं   देती

...-मनोहर चमोली ‘मनु’

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