27 अप्रैल 2012

घर का कोना-कोना रो गया


 
ऐसी बातें कह कर वो गया
घर का कोना-कोना रो गया

बीच हमारे अब नहीं है वो

बो के बीज वहम का वो गया

माँ च ौखट में खड़ी रही और

भूखा बिलख़ता बच्चा सो गया

दरपन भी रोया साथ मेरे
बाद उसके चूर वह हो गया

मैं तो सूखा पेड़ था अब तक
छुआ तूने तो हरा हो गया

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-मनोहर चमोली ‘मनु’
-23. 4. 2012. सुबह सवेरे.
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