एक नज़र में भा गए तुम
तन में आग लगा गए तुम
टिकट मिला संसद भी पहुँचे
पलक झपकते छा गए तुम
खुला रहा था दिल का द्वार
अंदर मेरे समा गए तुम
बने हुए थे हम तो ठूँठ
कोंपल लेकर आ गए तुम
‘मनु’ तो बेहद शरमीला है
उससे ही शरमा गए तुम
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-मनोहर चमोली ‘मनु’
-27 4. 2012. सुबह सवेरे में।
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