अब तो यारों चलना होगा
देखूँ कब सँभलना होगा
वो मुझसे अब दूरी चाहे
तय है साथ बदलना होगा
सब पैसों से यारी रखते
नई गिरह ये कसना होगा
सूरज भी सोकर उठता है
इस आदत में ढलना होगा
यार-सगों को छला है मैंने
अब तो ख़ुद को छलना होगा
....................
-मनोहर चमोली ‘मनु’
-22. 4. 2012. सुबह सवेरे.
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