27 अप्रैल 2012

अब तो ख़ुद को छलना होगा






अब तो यारों चलना होगा
देखूँ कब सँभलना होगा

वो मुझसे अब दूरी चाहे

तय है साथ बदलना होगा

सब पैसों से यारी रखते

नई गिरह ये कसना होगा

सूरज भी सोकर उठता है
इस आदत में ढलना होगा

यार-सगों को छला है मैंने
अब तो ख़ुद को छलना होगा

....................
-मनोहर चमोली ‘मनु’
-22. 4. 2012. सुबह सवेरे.







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