18 अप्रैल 2012

मुझको खुद संभलना होगा


अब तो उससे मिलना होगा
शायद फिर से झुकना होगा

वो चाहे सूरज बन जाए
उसको फिर भी ढलना होगा

लड़के वाले कल आएँगे
उसको फिर सँवरना होगा

विपदा चाहे जैसी भी हो
मुझको खुद संभलना होगा

बेटी पीहर जाने को है
फिर कुछ गिरवी रखना होगा
....................

-मनोहर चमोली ‘मनु’
-19. 4. 2012. सुबह सवेरे.

2 टिप्‍पणियां:

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