थोड़ा और सयाना होता
मुझको अगर कमाना होता
उसका कोई कद जो होता
उसके साथ ज़माना होता
मैं भी जे़ब में दरपन रखता
चेहरा जो सजाना होता
मैं तो नदिया का पानी हूँ
सागर बनता ख़ारा होता
मैं फिर ग़ज़लें क्यों कहता जो
इश्क अगर छिपाना होता
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-मनोहर चमोली ‘मनु’
-24. 4. 2012. गोधूलि की बेला में.
बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंshukriya Smart ji...
जवाब देंहटाएंbahut sunder abhivyakti . Manohar ji main aapko follow kar raha hun app bhi mujhe follow karen, mujhe khushi hogi.
जवाब देंहटाएंji shukriya aapka.
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